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Heavy rains cause havoc in MP: 275 people died, next 48 hours will be difficult for these 10 districts
भोपाल। मध्य प्रदेश में बीते दिनों भारी बारिश के कारण हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। मॉनसून के इस सीजन में अब तक 275 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1,657 से ज्यादा पशुओं की भी मौत हुई है। सरकार ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं और प्रभावितों को मदद पहुंचाने का काम जारी है।
प्रदेश में बारिश का दौर फिलहाल थमा हुआ था, लेकिन अब मौसम विभाग ने एक बार फिर तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है। अगले 48 घंटों में ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग के 10 जिलों के लिए भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।

इनमें ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना, भिंड, शिवपुरी, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़, सागर और छतरपुर शामिल हैं, जहां 4.5 इंच तक बारिश होने का अनुमान है। इन जिलों में एक बार फिर नदियों में उफान आ सकता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने लोगों से नदियों और नालों से दूर रहने की अपील की है।
सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, बारिश से हुई कुल 275 मौतों में से अधिकांश घटनाएं नदी-नालों में डूबने, बिजली गिरने और हादसों के कारण हुई हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रभावितों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने और नुकसान का सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। अब तक 28.49 करोड़ रुपये की राहत राशि बांटी जा चुकी है और सरकार ने राहत कार्यों के लिए 3,600 करोड़ रुपये का बजट रखा है।

भारी बारिश से प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। अब तक 53 राहत शिविरों में 3065 लोग रह रहे हैं, जहां उन्हें भोजन, पानी और दवाइयां जैसी जरूरी सुविधाएं दी जा रही हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान NDRF और SDRF की टीमों ने 3,628 नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला है। बारिश से 293 मकान पूरी तरह से और 3,687 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि 254 ग्रामीण सड़कें और पुल भी टूट गए हैं।
प्रदेश में इस सीजन में अब तक सामान्य से 59 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है। कुल 40 जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। राजधानी भोपाल में भी औसत से 52% ज्यादा बारिश हुई है, जिससे शहर का मौसम कोटा आधे से ज्यादा पूरा हो चुका है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, एक नए साइक्लोनिक सर्कुलेशन और ट्रफ लाइन के सक्रिय होने से बारिश का नया दौर शुरू हो रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर प्रदेश के उत्तरी हिस्सों में देखने को मिलेगा।