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If you ask me, I can tell you that only those engineers knew how important 90 degrees are..- Chaitanya Bhatt
भोपाल के ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग पर "90 डिग्री मोड़ वाले "रोड ओवर ब्रिज" का हल्ला क्या मचा सरकार एकदम से एक्शन पर आ गई। वैसे तो इस ब्रिज का निर्माण जिन इंजीनियर्स की सरपरस्ती में हुआ था वे सब सरकार के खासम खास माने जाते थे लेकिन जब सरकार की ही छीछालेदर हुई तो फिर सरकार ने अपनी खाल बचाने के सात इंजीनियरों को एक झटके में सस्पेंड कर दिया जिसमें सबसे ज्यादा विवादास्पद चीफ इंजीनियर वर्मा जी भी शामिल है
वैसे अपने हिसाब से इन इंजीनियर्स ने इतना बड़ा गुनाह नहीं किया था कि उन्हें सस्पेंड कर दिया जाए क्योंकि नब्बे डिग्री का कोण (90 डिग्री एंगल) गणित, विज्ञान और वास्तविक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे समकोण भी कहा जाता है, और यह एक आयत, वर्ग, और समकोण त्रिभुज जैसे ज्यामितीय आकृतियों का एक अभिन्न अंग है। 90 डिग्री का कोण एक समकोण होता है और रेखागणित में आयत, वर्ग, और समकोण त्रिभुज में 90 डिग्री के कोण होते हैं भौतिक विज्ञान में 90 डिग्री का कोण भौतिकी में बल, गति और ऊर्जा के संदर्भ में महत्वपूर्ण होता है। तो दूसरी तरफ 90 डिग्री का कोण इंजीनियरिंग में संरचनाओं और मशीनों को डिजाइन करने में महत्वपूर्ण है।
90 डिग्री का कोण निर्माण में दीवारों, फर्शों और छतों को सीधा और समकोण बनाने के लिए उपयोग किया जाता है यानी कुल मिलाकर 90 डिग्री का कोण का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, अब आप ही बताओ कि जिस 90 डिग्री का कोण जब इतना महत्वपूर्ण है तो यदि इन इंजीनियर्स ने पुल को 90 डिग्री पर मोड़ द दिया तो ऐसा क्या गुनाह कर दिया ? अरे भाई ज्यादा ज्यादा क्या होता दोनों तरफ से आने वाले लोग एक दूसरे से भिड़ जाते, एक दूसरे को गाली देते, एकाध दो लोगों को चोट लग जाती, हो सकता है एक दो गंभीर रूप से घायल भी हो जाते तो ये तो आजकल आम बात है,अगर आप सड़क पर चलोगे तो दुर्घटना तो होगी अब उस पर अगर आप 90 डिग्री का पुल बनाने वाले इंजीनियर को दोषी मान लोगे तो ये तो बहुत ही नाइंसाफी है।
वे बरसों से सरकार की सेवा कर रहे हैं और ठेकेदार उनकी सेवा में लगे हैं वैसे भी सरकारी काम में तो ये सब चलता आया है । पुल बनता नहीं कि बह जाता है, सड़क बनती नहीं उखड़ जाती है, पत्ता हिलता है तो बिजली गोल हो जाती है, पेड़ लगता नहीं और कट जाता है तो जब ये सब आम बातें हैं तो फिर इन बेचारे गरीब इंजीनियरों को काहे को सस्पेंड कर दिया? एक झटके में सारी इज्जत तार तार कर दी कितने नेताओं की सेवा करके तरह तरह के जुगाड़ लगाकर इतनी बड़ी-बड़ी पोस्टों पर पहुंचे थे । अब घर बैठे पचास परसेंट तनख्वाह लेना पड़ेगी और ऊपरी आमदनी बंद हो जाएगी लेकिन इन इंजीनियर्स को अपनी तरफ से अपन एक सांत्वना देना चाहते हैं कि बिल्कुल चिंता मत करो आप लोग ,ये सब "हाथी के दांत दिखाने के हैं" 2 4-6 महीने घर पर बैठो और बाद में अपने पद पर आ जाओ क्योंकि जांच चालू है और जो भी जांच चालू होती है उसका रिजल्ट कभी नहीं आता बस कुछ दिन की बात है सहन कर लो फिर तो वही जलवा खींचोगे जो अभी तक रहा है।
लो साहेब सागर के एक "कृषि विस्तार अधिकारी" अपने जन्मदिन और रिटायरमेंट के दो दिन पहले पचास हजार की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हो गए । कम से कम लोकायुक्त वालों को ये तो सोचना था कि बेचारे का जन्मदिन है कितना जश्न नहीं मनाया होगा मां बाप ने कि उसके यहां ऐसा "सपूत" पैदा हुआ है । दो दिन बाद सेवानिवृति भी थी ले लेने देते पचास हजार जिंदगी भर तो यही करते रहे हैं साहब जी, आखिरी टाइम में और कर लेते तो ऐसा क्या हो जाता, लेकिन लोकायुक्त वालों को चैन कहां ऐन वक्त पर पकड़ लिया उधर घर में केक काटने की तैयारी चल रही होगी और इधर भाई साहब का पेंट उतरवा कर उनको लोअर पहना दिया गया क्योंकि हुजूर ने रिश्वत की रकम अपनी जींस की जेब में रख ली थी अब उस जींस को बतौर गवाही के रूप में लोकायुक्त ने रख लिया है।
वैसे इस अधिकारी को भी ये सोचना था कि इतने साल नौकरी करी है ना जाने कितनी बार रिश्वत ली होगी लोगों का "जेनुइन" काम करने के लिए, अब जब दो दिन बचे थे रिटायरमेंट को तो थोड़ा रुक जाते, अभी जीपीएफ मिलना था, ग्रेच्युटी मिलनी थी, लीव इनकेशमेंट भी मिल सकता था साठ सत्तर लाख रुपए तो रिटायरमेंट के बाद मिलने थे लेकिन कहते हैं ना धन का लोभी अपना लाभ नहीं छोड़ सकता, उन्होंने भी सोचा होगा दो दिन रिटायरमेंट के बचे हैं जितना कमा सकते हैं कमा लो उन्हें क्या पता था कि ये दिन भी देखने पड़ेंगे जब रिटायरमेंट के दो दिन पहले लोअर में घर जाना पड़ेगा ।अपनी तो अब तमाम उन रिश्वतखोरों को एक ही सलाह है कि जो कुछ करना है रिटायरमेंट के एक साल पहले तक कर लो, उसके बाद एकदम "हरिश्चंद्र" बनकर नौकरी करो वरना फिर ऐसी ही बेइज्जती सहना पड़ेगी जैसी इन भाई साहब को सहना पड़ रही है । उधर केक बिना कटा पड़ा है और जींस भी वापस नहीं मिल रही है।
कई बरस पहले रमेश सिप्पी की फिल्म आई थी "शान" जिसका एक पात्र "शाकाल" अभी तक दर्शकों को याद है उस फिल्म में गाना बड़ा मशहूर हुआ था "मैं तेरा तू मेरी जाने सारा हिंदुस्तान" इस गाने को अपने जबलपुर पूर्व विधानसभा के एकमात्र कांग्रेसी विधायक लखन घनघोरिया ने "मैं तेरा तू मेरा जाने पूरी कांग्रेस" में बदल दिया हुआ यूं कि जब बाहर से कांग्रेस के पर्यवेक्षक कांग्रेस की हालत देखने के लिए जबलपुर आए तो घनघोरिया जी ने स्पष्ट तौर पर कह दिया की कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए महापौर अन्नू जी विवेक तंखा के और पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट के आदमी थे पूर्व नगर अध्यक्ष दिनेश यादव मेरा था, वर्तमान नगर अध्यक्ष सौरभ शर्मा मेरा नहीं है । घनघोरिया जी ने पूरा राज खोल दिया कि कौन उनका है और कौन किसी और का। यानी जो उनके थे उनके लिए उन्होंने गा दिया "तू मेरा मैं तेरा जान ले पूरी कांग्रेस" और जो नहीं थे उनके बारे में भी बोल दिया "ना तू मेरा ना मैं तेरा जान ले पूरी कांग्रेस" । इसी अपना तेरी में प्रदेश में कांग्रेस की लाई लुटी जा रही है पर्यवेक्षक आए हैं रायशुमारी करने के लिए कि कौन अध्यक्ष बन सकता है लेकिन यहां तो खुलेआम बता दिया गया है कि कौन मेरा है और कौन पराया।
पर्यवेक्षक भी भारी हलाकान है कि किसको अध्यक्ष बनाएं क्योंकि एक को अध्यक्ष बनाया तो दस उसके पीछे लठ्ठ लेकर पड़ जाएंगे और अगर दूसरे को बनाया तो ये भाई साहब उसको ऐसा पटकेंगे कि वो अपने को ही भूल जाएगा अपना तो पर्यवेक्षकों से कहना है कि इन लोगों को उनके हाल पर छोड़ दो कांग्रेस का वैसे ही भट्टा बैठ चुका है और ज्यादा से ज्यादा क्या होगा।
श्रीमान जी ने राह चलती एक महिला को आंख मार दी
" ये क्या कर रहे हो मैं कोई ऐसी-वैसी औरत नहीं हूं" उस महिला ने कहा
"आपकी बात बिल्कुल ठीक है मैडम
लेकिन चेक करना तो हमारा फर्ज बनता है न" श्रीमान जी ने उत्तर दिया

(लेखक मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं और लेख में विचार उनके निजी हैं।)