

Copyright © 2025 rights reserved by Inkquest Media
अन्य समाचार
.jpg&w=3840&q=75)
MP News HC strict on failure to arrest the accused
जबलपुर। मध्यप्रदेश के कटनी में एक कंपनी के धोखाधड़ी के मामले में डायरेक्टर्स की गिरफ्तारी रोकना जबलपुर आईजी को महंगा पड़ गया। कटनी में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में कंपनी के तीन डायरेक्टरों की अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। इसके बावजूद भी जबलपुर जोन के आईजी ने विवेचना पूर्ण नहीं होने तक गिरफ्तारी नहीं करने के आदेश जारी कर दिए थे। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने आईजी के आदेश को अवमाननापूर्ण मानते हुए उन्हें व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।
जानकारी के अनुसार, एमपी के कटनी जिले के माधव नगर निवासी हरनीत सिंह लाम्बा की ओर से ये याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि, हरगढ़ स्थित यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड में वे 6 जून, 2018 को डायरेक्टर बनाए गए थे। कंपनी के अन्य डायरेक्टर रायपुर के हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल, लाची मित्तल और कटनी निवासी सुरेंद्र सिंह सलूजा थे। याचिका में आरोप है कि, इसमें से 4 डायरेक्टर्स ने धोखे से हरनीत और सुरेन्द्र सिंह को डायरेक्टर पद से हटा दिया। इसके विरुद्ध कटनी के कोतवाली थाने में 27 जुलाई, 2024 को FIR भी दर्ज कराई गई थी।
इसके बाद ये मामला कटनी जिला सत्र न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां से हिमांशु, सन्मति और सुनील की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त हो गईं। महज लाची मित्तल को गर्भवती होने के आधार पर अग्रिम जमानत प्राप्त हुई थी, इसके अलावा बाकी तीन डायरेक्टर्स की अग्रिम जमानत निरस्त होने के बाद फरार आरोपियों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट भी कटनी जिला सत्र न्यायालय से जारी हुए, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया।
जिसके बाद हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि, "यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड की जनरल मीटिंग 24 अप्रैल 2024 को रायपुर में होने जा रही है। उस बैठक में याचिकाकर्ता को आधिकारिक तौर पर कंपनी के डायरेक्टर पद से हटा दिया जाएगा।' एकलपीठ ने सुनवाई के बाद राज्य के DGP को यह सुनिश्चित करने कहा कि, अगली सुनवाई तक उपरोक्त जनरल मीटिंग न हो पाए।
जिसके बाद इस पूरे मामले को जबलपुर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बावजूद IG जबलपुर के आदेश को गंभीरता से लिया गया है। आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किए जाने को लेकर जारी आदेश को अवमाननापूर्ण मानते हुए कोर्ट ने IG को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा गया है।