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MP News: In Jabalpur, a government official was duped of Rs 31 lakh by threatening him with 'digital arrest'; the cyber fraud began with a WhatsApp video call.
जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से साइबर अपराध का एक चिंताजनक और नया मामला सामने आया है। यहां एक प्रतिष्ठित सरकारी अधिकारी को जालसाजों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी देकर 31 लाख रुपये की ठगी कर ली। ठगों ने अधिकारी को बदनाम करने और आपराधिक केस लगाकर जेल भेजने का भय दिखाते हुए यह वारदात अंजाम दी। पीड़ित अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
कैसे हुआ ‘WhatsApp Video Call Scam’?
पीड़ित अधिकारी के मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से पहले एक लड़की का WhatsApp वीडियो कॉल आया। कॉल पर कुछ सेकंड की सामान्य बातचीत के बाद कॉल कट गया। इसके कुछ समय बाद दोबारा कॉल आया। इस बार कॉल करने वाला खुद को पुलिस अधिकारी बता रहा था।
ठग ने आरोप लगाया कि अधिकारी ने पिछली कॉल वाली लड़की के साथ आपत्तिजनक बातचीत की है और इस पर गंभीर कानूनी कार्रवाई होगी। उन्होंने धमकाया कि उन पर आपराधिक केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा, जिससे उनका करियर और प्रतिष्ठा बर्बाद हो जाएगी।
‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर दबाव
ठगों ने इस पूरे फर्जी एक्शन को डिजिटल अरेस्ट बताया। उन्होंने अधिकारी को विश्वास दिलाया कि वे उनके बैंक खातों और निजी जानकारियों को सीधे नियंत्रित कर सकते हैं। बदनामी के डर और मानसिक दबाव में आकर अधिकारी ने ठगों द्वारा बताए गए खातों में किश्तों में 31 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
पुलिस जांच में जुटी, साइबर गैंग पर शक
पीड़ित ने मदनमहल थाना क्षेत्र में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक जांच में यह किसी संगठित साइबर अपराध गिरोह का काम प्रतीत हो रहा है, जो संभवतः राज्य के बाहर या किसी अन्य देश से ऑपरेट कर रहा है।
पुलिस ने आम जनता को चेतावनी दी है कि, अज्ञात वीडियो कॉल न उठाएं। किसी भी पुलिस या सरकारी कार्रवाई की धमकी पर तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। किसी भी स्थिति में ऑनलाइन खातों में पैसे ट्रांसफर न करें।
विशेषज्ञों की चेतावनी: ‘डिजिटल अरेस्ट’ नया हथकंडा
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ शब्द नया हथकंडा है, जिसका उपयोग ठग लोगों को भ्रमित और भयभीत करने के लिए कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी जागरूकता के बावजूद लोग बदनामी और ब्लैकमेलिंग के डर में फंस रहे हैं।