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Mata Ka Mandir in Dongargarh was shaken: Suddenly a huge rock fell from the top of the mountain; people were terrified.. watch the video
रायपुर। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ जिले में विश्व विख्यात 'माता बम्लेश्वरी' देवी मंदिर के पास पहाड़ी पर एक बड़ा पत्थर गिर गया है, जिससे लोग डर गए हैं। यह घटना मंदिर जाने वाली नई सीढ़ियों के पास हुई। अच्छी बात यह रही कि, किसी को चोट नहीं लगी, लेकिन इससे पहाड़ी पर हो रहे गलत कामों और प्रकृति से छेड़छाड़ पर सवाल खड़े हो गए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि, ऐसा पहली बार हुआ है, जिससे वे बहुत घबरा गए हैं। एक महिला, मान बाई नेताम ने बताया कि, "सुबह बादल गरजने जैसी आवाज आई। मेरे बेटे ने चिल्लाकर कहा, 'मां, पत्थर गिर रहा है!' हम बचपन से यहां रह रहे हैं, पर ऐसा कभी नहीं देखा।" उनकी बात से पता चलता है कि यह घटना कितनी अचानक और डरावनी थी।
जिस जगह पत्थर गिरा, वहां से वन विभाग ने मंदिर जाने के लिए एक नया रास्ता बनाया था, जो बुरी तरह टूट गया है। गनीमत रही कि पत्थर दूसरी चट्टानों पर अटक गया, वरना नीचे बसे घरों और रास्तों पर बड़ी तबाही आ सकती थी।
जानकारी के मुताबिक, इस घटना के पीछे प्रकृति से छेड़छाड़ एक बड़ी वजह हो सकती है। पहाड़ी के ऊपर एक बड़े पत्थर को हटाने के लिए बारूद से ब्लास्टिंग की गई थी, जिससे पहाड़ी कमजोर हो गई। इसके अलावा, पहाड़ी पर लंबे समय से हो रहा गलत तरीके का निर्माण, पत्थरों की कटाई और पेड़ों को अंधाधुंध काटना भी इस हादसे का कारण माना जा रहा है। इन सब कामों से पहाड़ी की पकड़ कमजोर हो गई। इस घटना में करीब 500 सीढ़ियों का ऊपरी हिस्सा टूट गया है और रास्ता बंद हो गया है।

वन अधिकारी भूपेंद्र उइके ने बताया कि मां बम्लेश्वरी पहाड़ी के पीछे गिरी चट्टान और पेड़ों को हटाकर रास्ता साफ कर दिया गया है, ताकि भक्त बिना किसी रुकावट के आ-जा सकें। उन्होंने यह भी बताया कि दो बड़े पत्थर गिरने से कई पेड़ टूट गए हैं। चूंकि यह एक बहुत बड़ा पत्थर है, इसे हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने पहली नजर में इसे प्राकृतिक आपदा बताया है, लेकिन वन विभाग घटना के कारणों की पूरी जांच करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।

यह घटना प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के लिए एक साफ चेतावनी है। पहाड़ी और पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी पर्यावरण मंत्रालय और दूसरे विभागों की है। बिना जमीन की जांच के पहाड़ी पर की जा रही खुदाई, बारूद से ब्लास्टिंग और गलत तरीके के निर्माण कार्यों पर पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित विभागों को तुरंत ध्यान देना चाहिए। अगर पहाड़ी पर हो रहे अंधाधुंध निर्माण और छेड़छाड़ को नहीं रोका गया, तो भविष्य में इससे भी बड़ा हादसा हो सकता है। यह घटना दिखाती है कि आस्था और तरक्की के बीच पर्यावरण का संतुलन बनाना बहुत जरूरी है।
