

Copyright © 2025 rights reserved by Inkquest Media
अन्य समाचार

Pahalgam Attack Eyewitness identified the terrorist from the sketch said he was the one who arranged the mule ride had asked do you like Hinduism or Islam
पहलगाम आतंकी हमले में जहां एक ओर सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली एकता तिवारी का सनसनीखेज दावा सामने आया है। एकता का कहना है कि हमले से ठीक पहले 20 अप्रैल को वह जब बैसरन वैली घूमने गई थीं, तब आतंकी स्केच में दिख रहे दो संदिग्धों ने उन्हें खच्चर की सवारी कराई थी।
एकता का दावा है कि इन संदिग्धों ने उस दौरान उनसे कई अजीब सवाल किए, जिनमें धर्म, धार्मिक स्थलों की यात्रा और दोस्तों की धार्मिक पहचान से जुड़े प्रश्न शामिल थे। एकता तिवारी ने अपने फोन में मौजूद एक फोटो और व्हाट्सएप ग्रुप के स्क्रीनशॉट भी दिखाए, जिनमें उनके दोस्त भी इन लोगों को पहचान रहे हैं। फोटो में एक व्यक्ति मेरून रंग की जैकेट और पजामा पहने हुए नजर आ रहा है।
एकता ने कहा कि यही शख्स उनसे पूछ रहा था कि क्या वे कभी अजमेर दरगाह या अमरनाथ यात्रा पर गई हैं। जब एकता ने बताया कि उन्होंने अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन तो कराया है लेकिन अभी तक गई नहीं हैं, तो संदिग्ध ने कहा आप रजिस्ट्रेशन मत कीजिए, आप बस तारीख बताइए, हमारा आदमी आपको लेने आ जाएगा। इस बातचीत के दौरान एकता ने जब उस व्यक्ति से फोन नंबर मांगा, तो उसने कहा कि उसका फोन बेकार है और बहुत आवाज करता है।
इसके तुरंत बाद उस व्यक्ति के फोन पर एक कॉल आई, जिसमें एकता ने प्लान A और प्लान B जैसी कोडेड बातें सुनीं। कॉल में कहा गया 'प्लान A ब्रेक फेल, प्लान B – 35 बंदूकें मैं भेजा हूं, घास में छुपी हैं।' इसके बाद जब उसे लगा कि एकता उसकी बातों को गौर से सुन रही हैं, तो उसने अपनी स्थानीय भाषा में बात करना शुरू कर दिया।
एकता ने कहा कि इसके बाद उस व्यक्ति ने उनसे पूछा कि उन्हें हिंदू धर्म ज्यादा पसंद है या इस्लाम। एकता ने जवाब दिया कि उन्हें दोनों धर्म पसंद हैं। फिर उस व्यक्ति ने उनसे पूछा कि उनके कितने हिंदू दोस्त हैं और कितने मुस्लिम दोस्त हैं। फिर उसने एकता से पूछा कि क्या उन्होंने कभी कुरान पढ़ी है? एकता ने कहा कि मुझे उर्दू नहीं आती, इसलिए मैंने कुरान नहीं पढ़ी है। फिर उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि यह हिंदी में भी उपलब्ध है। इसके बाद एकता को वहां डर लगने लगा।
एकता तिवारी का यह भी दावा है कि घटनास्थल पर उस दिन कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी और 20 अप्रैल को ही हमला हो सकता था, लेकिन शायद किसी कारण से टल गया। उन्होंने बताया कि उनके दोस्त इस घटना से डरे हुए हैं और खुलकर सामने नहीं आना चाहते, लेकिन व्हाट्सएप चैट में उन्होंने भी इन लोगों को पहचान लिया है।