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Problems of UPSC students increased in Old Rajendra Nagar: Due to closure of basement, expenses increased by 30%, questions on security still remain
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में पिछले साल 27 जुलाई को जो भयानक हादसा हुआ था, उसे एक साल हो चुका है। रॉउस आईएएस कोचिंग के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था और यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र सड़कों पर उतर आए थे।
इस हादसे के बाद, प्रशासन ने फौरन एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने ओल्ड राजेंद्र नगर में बेसमेंट में चलने वाली सभी कोचिंग क्लास, लाइब्रेरी और बाकी बिज़नेस पर रोक लगा दी। एक साल बीत चुका है और कोचिंग इंडस्ट्री तो वापस पटरी पर आ गई है, लेकिन छात्रों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि यह रोक लगाना सरकारी लाचारी का सबूत है। इस फैसले से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि उनका खर्च करीब 30% तक बढ़ गया है।
यह जगह यूपीएससी की तैयारी करने वालों के लिए एक बड़ा अड्डा है। यहां छोटे-बड़े करीब 100 कोचिंग संस्थान हैं, जहां देश के कोने-कोने से छात्र पढ़ने आते हैं। एक अंदाज़े के मुताबिक, यहां अभी भी 30 हज़ार से ज़्यादा छात्र रहते हैं।
इस हादसे के बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया और प्रशासन ने बेसमेंट बंद करने का आदेश दे दिया। अब न तो बेसमेंट में क्लास लगती है और न ही लाइब्रेरी चलती है। लेकिन छात्रों का कहना है कि यह कोई हल नहीं है।
प्रशांत शुक्ल, जो खुद यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, कहते हैं, "हादसा सिस्टम की कमी की वजह से हुआ था, लेकिन इसका खामियाजा हम बाकी छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। बेसमेंट को सुरक्षा के साथ फिर से खोलना चाहिए।"
एक और छात्र, सुभाष ठाकुर, कहते हैं कि बेसमेंट बंद करने से कोचिंग सेंटर ने अपनी क्लास ऊपर की मंज़िलों पर शिफ्ट कर दी हैं। अब उन्हें ज़्यादा किराया देना पड़ रहा है, और यह सारा बोझ आखिर में छात्रों पर ही पड़ता है।
1. कोचिंग फीस और लाइब्रेरी का खर्च
प्रशांत बताते हैं कि अब कोई भी कोचिंग बेसमेंट में नहीं है। सबने ऊपर के फ्लोर पर क्लास और लाइब्रेरी शुरू कर दी हैं, जिसका किराया ज़्यादा है। यह किराया अब छात्रों से वसूला जा रहा है। प्रशांत ने पिछले साल अपने कोर्स के लिए 1.70 लाख रुपये दिए थे, जो अब 2 लाख रुपये से ज़्यादा हो गया है। इसी तरह, लाइब्रेरी का खर्च भी 2-3 हज़ार रुपये महीना बढ़ गया है, क्योंकि कई लाइब्रेरियां बंद हो गई हैं।
2. मकानों का किराया
राउॅस आईएएस की घटना के बाद जब छात्र यहां से जाने लगे थे, तब किराया थोड़ा कम हुआ था। लेकिन अब जब छात्र वापस आ रहे हैं, तो किराया फिर से बढ़ने लगा है। आज की तारीख में एक सिंगल रूम 11 से 20 हज़ार रुपये महीने में मिल रहा है। जबकि अटैच्ड रूम 13 से 25 हज़ार रुपये तक में मिल रहे हैं। सुभाष कहते हैं कि यहां ब्रोकर बहुत हावी हैं, और किराए को कंट्रोल करने के लिए कोई नियम नहीं है।
प्रशांत को याद है कि प्रदर्शन के दौरान उन्होंने सरकार से सस्ते हॉस्टल की मांग की थी, लेकिन हुआ इसका उल्टा।
प्रशांत कहते हैं कि, बेसमेंट बंद होने और खर्च बढ़ने से छात्रों पर मानसिक और आर्थिक दबाव बहुत बढ़ गया है। जो छात्र दूसरे शहरों से आते हैं, उन पर पहले से ही कई तरह का दबाव होता है। इस साल इसी दबाव की वजह से यहां दो छात्र आत्महत्या भी कर चुके हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि भले ही प्रशासन ने सुरक्षा के लिए कदम उठाए हों, लेकिन उन कदमों ने छात्रों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।