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Sacks and sacks became a matter of debate in Chhattisgarh politics, the previous Congress government spent Rs 8 crores.
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों राज्य का पारंपरिक व्यंजन बोरे-बासी सुर्खियों में है। श्रमिक दिवस पर इसे बढ़ावा देने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी जुबानी जंग छिड़ी हुई है। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी से यह खुलासा हुआ है कि सिर्फ राजधानी रायपुर में ही बोरे-बासी खिलाने पर 8 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए, वो भी बिना किसी सरकारी निविदा प्रक्रिया के।
आरटीआई कार्यकर्ता आशीष सोनी द्वारा प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, वर्ष 2020, 2023 और 2024 में बिना निविदा के करोड़ों रुपये की राशि दो निजी फर्मों – मेसर्स शुभम किराया भंडार और मेसर्स व्यापक इंटरप्राईजेस को भुगतान की गई। विशेष रूप से 2023 में 8 करोड़ 32 लाख रुपये का कार्य सीधे बिना निविदा के करवाया गया।
भाजपा प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने इस मामले को कांग्रेस सरकार का "शानदार भ्रष्टाचार" करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर यह राशि सीधे श्रमिकों के कल्याण में खर्च की जाती तो उनका वास्तविक भला होता। "छत्तीसगढ़ में ऐसा कोई विभाग नहीं बचा, जहां कांग्रेस ने भ्रष्टाचार न किया हो।
इस पूरे विवाद पर कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने सफाई दी कि बोरे-बासी छत्तीसगढ़ की अस्मिता और संस्कृति का प्रतीक है। श्रमिक दिवस को बोरे-बासी दिवस के रूप में मनाकर मजदूरों के स्वाभिमान को सम्मानित किया गया। "कार्यक्रमों की स्वीकृति सरकार द्वारा दी गई थी और इसमें स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रदर्शनी और सांस्कृतिक आयोजन भी शामिल थे।