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“There is a limit to delimitation…but not to hearts…” When President Murmu said – ‘I love Chhattisgarh very much, Chhattisgarhis are the best’
रायपुर। प्रदेश की 25वीं वर्षगांठ पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में राष्ट्रपति मुर्मू अपना विशेष सम्बोधन देने रायपुर आई हुईं हैं। महामहीम के संबोधन से पहले विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने उनके स्वागत अभिभाषण में कहा, माननीय राष्ट्रपति जी अपने साबित किया है कि, इच्छाशक्ति और साहस से व्यक्ति कही भी पहुंच सकता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा का तीसरा अवसर है जब देश के राष्ट्रपति यहां अपना संबोधन पेश करेंगे। इससे पहले भारत रत्न राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम जी और उनके बाद प्रतिभा पाटिल जी और उनके बाद आपका आगमन हुआ है। डॉ.रमन सिंह ने कहा कि, यह मेरे लिए व्यक्तिगत उपलब्धि है कि इन तीनों अवसरों पर मुझे राष्ट्रपति के विधानसभा के आगमन के इन तीनों अवसरों पर साक्षी बनने का मौका मिला।
रमन सिंह ने अपने संबोधन में आगे कहा, व्यक्ति की सहज प्रवृत्ति होती है कि वह दूसरों के लिए नियम और कानून लागू तो करता है लेकिन खुद उसका पालन नहीं करता। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने इस मिथक तो तोड़ा है, सदन के सदस्यों ने स्वयं अपने लिए अनुशासन की परिधि में रहने का नियम बनाया है। सदन में स्व अनुशासन की पहल को देश की अन्य संसदीय निकायों ने आदर्श माना है।
विधानसभा में राष्ट्रपति ने अपना अभिभाषण शुरू करने से पहले विधानसभा के सभी सदस्यों का स्वागत “जय जोहार” कह कर किया। उन्होंने कहा कि, आज उन्हें यहां आकर ओडिशा में बतौर विधायक अपना समय याद आ गया। उन्होंने नेताप्रतिपक्ष चरणदास महंत की बात पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि, ‘जैसे आप छत्तीसगढ़ वासी ओडिशा के बरगढ़ और संबलपुर को छत्तीसगढ़ का हिस्सा समझते है, वैसे ही हम भी रायपुर को ओडिशा का एक हिस्सा समझते हैं।’ राष्ट्रपति के इस कथन पर पूरा विधानसभा मेज पर थपकियों से गूंज उठा, पक्ष हो या विपक्ष सभी विधायकों ने मेज पर ताली मार कर अपनी खुशी प्रकट की।
राष्ट्रपति ने आगे कहा, दोनों राज्य की सीमाएं भले अलग है लेकिन दिल से हम सब एक हैं। उन्होंने बड़े ही मार्मिक अंदाज में कहां- भगवान् जगन्नाथ केवल ओड़िशा के नहीं छत्तीसगढ़ के..सम्पूर्ण जगत के नाथ है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, मंदिर में रोज जो 56 पोहटी चावल मंदिर में प्रसाद के रूप में पकाया जाता है, वह छत्तीसगढ़ का है। उस प्रसाद को पूरा विश्व खाता है। चाहे राम हो या शबरी.. यह पूर्ण भूमि है, तप भूमि है...यह पवित्र भूमि है.. इसका नाम चाहे छत्तीसगढ़ हो या ओडिशा हो..हम सब एक है। यह देश हम सबका है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘मुझे छत्तीसगढ़ से बहुत लगाव है’। राष्ट्रपति ने कहा, “मैं यहाँ लगभग 10 बार आ चुकी हूँ”। यहाँ के लोग बहुत अच्छे हैं, इसी लिए शायद कहावत कहा गया है कि, “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”। उन्होंने आखिर में अपना सम्बोधन समाप्त करते हुए कहा कि, जिस तरह अपने आदर्श विधानसभा का उदाहरण पेश किया है, इसी तरह आप विकसित छत्तीसगढ़ का आदर्श प्रस्तुत करेंगे। अंत में राज्य के स्वर्णिम भविष्य की कामना करते हुए उन्होंने ‘जय छत्तीसगढ़’ के नारे के साथ अपना अभिभाषण समाप्त किया।