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Tifra Sector-D land dispute: High Court upholds stay on confiscation proceedings, directs state government to be made a party
बिलासपुर। तिफरा सेक्टर-डी की 19 एकड़ जमीन को नगर निगम द्वारा अवैध कॉलोनी घोषित कर राजसात किए जाने के मामले में बीते शुक्रवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की सिंगल बेंच ने नगर निगम की कार्रवाई पर जारी अंतरिम रोक को बरकरार रखते हुए राज्य शासन को भी मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि “पूरी प्रक्रिया स्पष्ट हुए बिना इस पैमाने की कार्रवाई उचित नहीं कही जा सकती।”मामला अब एक सप्ताह बाद फिर सुना जाएगा।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि, इस भूमि का लेआउट वर्ष 2003 में विधिवत स्वीकृत किया गया था। वर्ष 2008 तक जमीन की वैध खरीदी-बिक्री चलती रही। कॉलोनी अधिनियम 2012 लागू होने से पहले ही विकास कार्य बंद हो चुके थे, इसलिए यह जमीन उसके दायरे में नहीं आती। 2008 के बाद कोई नया विकास कार्य न होने के कारण धारा 292-च और 292-छ लागू नहीं हो सकतीं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 50 साल पुरानी निजी जमीन पर निगम जबरन कब्जा करना चाहता है।
निगम की जल्दबाजी पर कोर्ट की नाराजगी
कोर्ट ने नगर निगम की कार्रवाई को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। 4 नवंबर को निगम ने जवाब के लिए समय मांगा था। 12 नवंबर को जवाब दाखिल कर दिया गया था। इसके बावजूद, 13 नवंबर को सुनवाई तय होने की जानकारी होते हुए भी, निगम ने उससे पहले ही जमीन को राजसात घोषित करने का आदेश जारी किया और एसडीएम को राजस्व रिकॉर्ड बदलने का निर्देश भेज दिया। कोर्ट ने इसे गंभीर माना और कहा कि ऐसी कार्यवाही पूरी प्रक्रिया के अधूरे रहते निरस्त की जा सकती है। इसी आधार पर स्टे जारी रखा गया।
नगर निगम की दलील
निगम की ओर से कहा गया कि, कॉलोनी अवैध घोषित है। कॉलोनाइजर सुरेंद्र जायसवाल को पहले तीन नोटिस दिए गए थे। दावा-आपत्ति के बाद कलेक्टर ने 10 सदस्यीय जांच समिति बनाई। समिति ने छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 292-ग, 292-च, 292-छ के तहत कार्रवाई की सिफारिश की। इसके आधार पर 19.35 एकड़ जमीन राजसात की गई और कई खसरा नंबर अवैध प्लॉटिंग बताए गए। उधर कॉलोनाइजर ने इन सभी नोटिसों को अलग-अलग याचिकाओं में हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है, जिन पर सुनवाई लंबित है।
इसी दिन हाईकोर्ट में दूसरी महत्वपूर्ण सुनवाई भी
उद्योगों के प्रदूषण से श्रमिकों के बीमार होने के मामले में भी कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने 37 और उद्योगों को पक्षकार बनाने को कहा है। कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।