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Withdrawal of ED's petition, hearing may now be held in High Court, demand for CBI inquiry into Hamar Sangwari and others' Nan scam
रायपुर। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुए नाटकीय घटनाक्रम में ईडी ने अपनी याचिका वापस ले ली है ,इसके साथ ही हमर संगवारी और अन्य की ओर से नान घोटाले की सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट में लम्बित जनहित याचिका पर सुनवाई होने की संभावना बढ़ गयी है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुईंया की खण्डपीठ ने छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के घोटाले से सम्बन्धित अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट पिटीशन की सुनवाई के दौरान ईडी को आड़े हाथों लिया। कोर्ट का कहना था कि अनुच्छेद 32 के तहत रिट केवल मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका की जाती है और यह सरकार के साधनों के खिलाफ दायर की जाती है ना कि सरकार या उसकी एजेन्सियों के खिलाफ।
कोर्ट ने हल्के-फुल्के अंदाज में टिप्पणी की ,कि यदि ईडी के पास मौलिक अधिकार हैं तो उसे लोगों के मौलिक अधिकारों के बारे में भी सोचना चाहिए।
ईडी की याचिका पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और अन्य से सम्बन्धित मामले में दायर की गयी थी,जो नान द्वारा चावल खरीद और वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से जुड़े 2015 के भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी हैं।
ईडी का आरोप है कि अभियोजन पक्ष द्वारा अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर गवाहों को धमकाकर डराकर राजनीतिक दबाव के माध्यम से छत्तीसगढ़ की न्याय प्रणाली में आपराधिक हेरफेर किया गया है। ईडी ने यह मामला तब दायर किया था जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी कि इसलिए इस मामले को नईदिल्ली की पीएमएलए कोर्ट में ट्रांसफर करने और एक स्वतंत्र मंच के समक्ष नए सिरे से सुनवाई की मांग की थी।
ईडी के वकीलों ने तर्क दिया कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अभियोजन पक्ष का दृष्टिकोण नाटकीय ढंग से बदल गया और टुटेजा सहित कई आरोपियों ,जिन्हे याचिका में तत्कालीन मुख्यमंत्री की करीबी बताया गया है, को जमानत का लाभ मिला।
एजेन्सी ने जमानत के लिए जब्त किए गए व्हाट्सएप चैट और कॉल डेटा रिकार्ड का भी हवाला दिया, जिसमें टुटेजा और एसआईटी/अभियोजन पक्ष के सदस्यों के बीच सीधा संवाद बताया गया है।इसमें दावा किया गया है कि अभियोजन की रणनीति और गवाहों के बयान वास्तविक समय में उन्हें लीक किए जा रहे थे।
जब कोर्ट ने रिट की मेन्टेनेबिलिटी पर सवाल खड़ा करते हुए मौलिक अधिकारों के बारे में टिप्पणी की तो ईडी का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने रिट वापस ले ली।
इधर ईडी की रिट वापस लेने से हाईकोर्ट में नान घोटाले की सीबीआई जांच कराने के लिए लम्बित जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई का रास्ता खुल सकता है। नान घोटाले की सीबीआई जांच के लिए हमर संगवारी के राकेश चौबे, पूर्व भाजपा नेता वीरेन्द्र पांडे और अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने जनहित याचिका लगायी हुई है।